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1.
प्रण सिर्फ इतना करना होगा कि दानव बचने न पाए

2.
आज दानव संहार करे कौन कहो माँ दुर्गा

3.
नकली रोशनी की चौंध से अपनी ही आँख से कुछ का कुछ दीखता है

4.
कौन देवता दानव कौन किसे मालूम

5.
प्रण सिर्फ इतना करना होगा कि दानव बचने न पाए

6.
न ही ज़रूरी़ है कोई खास कंगन या केश

7.
दानव दीखने या देखने की बात ही नहीं है

8.
प्रण सिर्फ इतना करना होगा कि दानव बचने न पाए

9.
पसच का दामन न छोड़ कर कोई देव बन जाए

10.
दानव होने के लिए काफ़ी है रोज़गार देने की जगह मुँह से निवाला छीन लेना

11.
किसी के हक़ की कमाई रोक लेना दूसरे की पत्नी पर रखना बुरी नज़र और दूसरों के घर की बात खोद लेना

12.
पकहें क्या आज संहार होगा दूसरों का रक्त पीने वाले समूहीकरण का

13.
तब मना सकेंगे दशहरा सब आपके और हमारे गाँव और मोहल्ले के लोग
लेखिका :किरण सूद़़


निन्दा करें सब या स्तुति कोई अन्तर नहीं मेरे पाप और पुण्य का फैसला करने की शक्ति मेरे दिव्य आत्म तत्त्व को महत्तम तत्त्व द्वारा प्रदत्त अन्य का प्रवेश वहाँ वर्जित फिर क्यों रे तू चिन्तित मेरे प्रियवर ! मेरे शुभचिन्तक ! फिर क्यों रे तू चिन्तित
लेखिका: किरण सूद़़


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